श्रीश्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर विरचित
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Binding | Paperback |
Size | 6.75" x 4.75" |
श्रीगौड़ीय वेदान्त समिति एवं तदन्तर्गत भारतव्यापी
श्रीगौड़ीय मठोंक प्रतिष्ठाता, श्रीकृष्णचैतन्याम्नाय
दशमाधस्तनवर श्रीगौड़ीयाचार्य केशरी
नित्यलीला प्रविष्ट ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत श्री
श्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराजके
अनुगृहीत
श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराज
द्वारा
अनुवादित एवं सम्पादित
श्रीगौड़ीय-वैष्णवाचार्य-मुकुटमणि महामहोपाध्याय श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर द्वारा रचित यह श्रीभागवतामृतकणा ग्रन्थ श्रीचैतन्य महाप्रभुके अन्तरङ्ग प्रियपरिकर रसतत्त्वाचार्य श्रील रूपगोस्वामी द्वारा रचित श्रीलघुभागवतामृत ग्रन्थका सार संकलन है। यह ग्रन्थ आकारमें अतिशय क्षुद्र होने पर भी इसमें व्रजस्थित नन्दनन्दन-राधाकान्त-रासबिहारी-श्रीकृष्ण असमोर्द्ध ऐश्वर्य-माधुर्य परिमण्डित सर्वश्रेष्ठ उपास्य तत्त्व हैं। यह असमोर्द्ध उपास्य तत्त्व श्रीकृष्ण ही स्वयंरूप हैं। इनको ही श्रीमद्भागवतादि शास्त्रोंमें स्वयं-भगवान् कहा गया है। स्वयंरूप ही मूलतत्त्व हैं। अन्यान्य जितने भी भगवदवतार आदि हैं, उनकी भगवता इन स्वयंरूप भगवान् से ही है। किन्तु स्वयंरूप कृष्णकी भगवत्ता स्वतःसिद्ध है। श्रीलविश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुरजीने इस ग्रन्थमें संक्षेपमें श्रील रूपगोस्वामीका अनुसरण करते हुए स्वयंरूपतत्त्व (नन्दनन्दन श्रीकृष्ण), स्वयं प्रकाशतत्त्व, विलासतत्त्व (श्रीबलदेव एवं वैकुण्ठनाथ), अंशतत्त्व (मत्स्यकूर्मादि), आवेशतत्त्व (व्यास-नारदादि), तीन-पुरुषावतार, तीन-गुणावतार, असंख्य लीलावतार (चतुःसन, नारद, वराहादि), मन्वन्तरावतार (यज्ञ, विष्णु, सत्यसेन आदि चौदह अवतार), युगावतार (शुक्ल-रक्तादि), प्राभव (मोहिनी, धन्वन्तरि आदि) वैभव (मत्स्यकूर्मादि), परावस्थ (नृञसह-राम-कृष्ण), कृष्णके वासस्थान अर्थात् धाम (व्रज, मधुपुरी, द्वारका और गोलोक), श्रीकृष्णका पूर्णत्व, पूर्णतरत्व और पूर्णतमत्व (क्रमशः द्वारका, मथुरा और वृन्दावनमें), श्रीकृष्णकी लीलाएँ (प्रकट और अप्रकट लीलाएँ) श्रीकृष्णकी बाल्यादि लीलाओंका नित्यत्व तथा भगवद्भक्तोंके तारतम्य आदि विषयोंका संक्षिप्त परिचय दिया है। इन तत्त्वोंसे अवगत हुए बिना सर्वोत्तम उपास्य तत्त्वका निर्णय होना कठिन ही नहीं असम्भव है। निष्कपट साधक इस ग्रन्थका अनुशीलन कर सहज ही आराध्य तत्त्वका निर्णय कर सकते हैं। श्रीलचक्रवर्ती ठाकुरने सरल-सहज बोधगम्य प्राञ्जल संस्कृत भाषामें इस ग्रन्थका संकलन इस रूपमें किया है कि संस्कृत भाषामें अनभिज्ञ साधारण साधक भी इस ग्रन्थको अच्छी तरहसे समझ सकते हैं।
विषय -सूची : स्वयंरूप, विलास, आवेश, अवतार-समूह, पुरुषावतार, गुणावतार, लीलावतार, मन्वन्तरावतार, युगावतार, आवेशावतार, वासस्थान (धाम ), लीलातत्त्व, भक्त वैशिष्ट्य
This book, by Srila Visvanatha Cakravarti Thakura, is a summary study of Sri Rupa Gosvami's Laghu-bhagavatamrta, which describes Sri Krsna's various incarnations and plenary portions.
TITLE: Sri Bhagavatamrta Kana - Hindi
AUTHOR: Srila Vishvanatha Chakravarti Thakura
TRANSLATED and EDITED by Srimad Bhaktivedanta Narayana Goswami Maharaja
PUBLISHER: Gaudiya Vedanta Prakashan
EDITION: Second, 2005
BINDING: Paperback
PAGES and SIZE: 70, 7" X 5"
SHIPPING WEIGHT: 200 grams
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