(परिक्रमा-खण्ड)
श्रीश्रील सच्चिदानन्द भक्तिविनोद ठाकुर रचित
The Excellence of Sri Navadvipa Dhama
This book describes the glories of Sri Navadvipa-dhama
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Binding | Hardcover |
Size | 5.5" x 4.5" |
(परिक्रमा-खण्ड)
श्रीगौड़ीय वेदान्त समिति एवं तदन्तर्गत भारतव्यापी
श्रीगौड़ीय मठोंक प्रतिष्ठाता, श्रीकृष्णचैतन्याम्नाय
दशमाधस्तनवर श्रीगौड़ीयाचार्य केशरी
नित्यलीला प्रविष्ट
ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तरशत श्री
श्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामीचरणके
अनुगृहीत
श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराज
अनुवादित एवं सम्पादित
श्रीकृष्णधाम वृन्दावन और श्रीगौरधाम नवद्वीप अभिन्ना हैं, अतएव श्रीनवद्वीपधाम भी श्रीवृन्दावनकी भाँति सोलह कोसका है। वृन्दावनमें जिस प्रकार श्रीयमुना, श्रीगोवर्धन, श्रीरासस्थली, श्रीराधाकुण्ड-श्यामकुण्ड और विविध उपवन आदि विद्यमान हैं, श्रीनवद्वीपधाममें भी उसी प्रकार उपरोक्त समस्त स्थान गुप्त रूपमें नित्य विराजमान हैं। श्रीगौरसुन्दर इस धाममें नित्य विहार करते हैं। शुद्ध गौरभक्तोंके आनुगत्यमें नामसङ्कीर्त्तनके माध्यमसे सौभाग्यशाली जीव श्रीमन् महाप्रभु द्वारा की जा रही नित्य-लीलाओंको अनुभव कर सकते हैं।
विषय-सूची : प्रस्तावना, [ श्रीधाम-माहात्म्य ],[ श्रीगौड़मण्डल एवं नवद्वीपधामका परिमाण, श्रीगौड़मण्डल (चार्ट), श्रीनवद्वीपधाम (चार्ट), श्रीनवद्वीपधामका स्वरूप, श्रीगौड़मण्डलवासियोंका स्वरूप, श्रीनवद्वीपधामवासियोंका स्वरूप ], [ श्रीनवद्वीपमें प्रवाहित होनेवाली नदियाँ, श्रीअन्तर्द्वीप, श्रीनवद्वीपधाम परिक्रमाकी विधि, परिक्रमा करनेका सर्वश्रेष्ठ समय ], [ श्रीजीव गोस्वामीका गृह-त्याग, श्रीजीव द्वारा श्रीनित्यानन्द प्रभुकी स्तुति, श्रीजीव गोस्वामी द्वारा सदैन्य अपने सौभाग्यका वर्णन, श्रीजीवके प्रति श्रीनित्यानन्द प्रभुकी आज्ञा, श्रीमधुसूदन वाचस्पतिका परिचय, श्रीजीव द्वारा श्रीनवद्वीपधाम-तत्त्वके, विषयमें जिज्ञासा, श्रीनित्यानन्द प्रभु द्वारा श्रीनवद्वीपधाम-तत्त्वका वर्णन ], [ श्रीधाम मायापुरका वर्णन, प्रथम दिन मायापुरके दर्शन, योगपीठ, श्रीवास-अङ्गन, श्रीअद्वैत-भवन, श्रीगदाधर-भवन, क्षेत्रपाल वृद्धशिव, श्रीमन् महाप्रभु घाट, माधाई घाट, बारकोणा घाट, पञ्च शिवालय घाट, श्रीजीव गोस्वामीका संशय, श्रीनित्यानन्द प्रभुका उत्तर ], [श्रीगङ्गानगरका इतिहास, बल्लालदीर्घिका, बल्लालदीर्घिकाका अपर नाम 'पृथुकुण्ड', श्रीसीमन्तद्वीप, काजी-नगर, काजीकी समाधि, शंखवनिक-नगर (शरडाङ्गा), श्रीधर-अङ्गन, षष्टितीर्थ, मयामारि ], [ श्रीसुवर्णविहार, श्रीनृसिंहपल्ली ], [ श्रीहरिहरक्षेत्र, गदिगाछा-ग्राम (श्रीगोद्रुमद्वीप), इन्द्र और माता सुरभिकी भजन-स्थली, गोद्रुमद्वीपमें मार्कण्डेय ऋषिका घटनाक्रमसे आगमन ], [ श्रीमध्यद्वीप, श्रीकुमारहट्ट, नैमिषारण्य ], [ श्रीब्राह्मणपुष्कर, श्रीउच्चहट्ट (नवद्वीपमें कुरुक्षेत्र), श्रीनवद्वीप-परिक्रमाका क्रम, शास्त्रोंमें 'नवरात्र' का वर्णन ], [ पञ्चचवेणी, कुलियापाहाड़ (कोलद्वीप), हिरण्याक्षके वधका स्थान, श्रीनवद्वीपमें व्रजस्थित द्वादश वनोंके क्रमका विपर्यय, श्रीसमुद्रगढ़ (श्रीसमुद्रगढ़में द्वारकापुरीके विद्यमान होनेका उपाख्यान), श्रीसमुद्रगढ़में गङ्गासागरकी विद्यमानता, श्रीचम्पकहट्ट (श्रीद्विजवाणीनाथका स्थान) ], [ रातुपुर (श्रीऋतुद्वीप), ऋतुद्वीप, व्रज स्थित श्रीराधाकुण्ड ], [ ऋतुद्वीपके अन्तर्गत स्थित श्रीविद्यानगरके इतिहासका वर्णन, जान्नागर (श्रीजह्नुद्वीप), व्रजका भद्रवन ], [ मामगाछि (मोदद्रुमद्वीप), श्रीनवद्वीप स्थित श्रीअयोध्या नगरी, मोदद्रुमद्वीप, व्रजका श्रीभाण्डीरवन], [ श्रीवैकुण्ठपुर, महत्पुर, व्रजका काम्यवन, युधिष्ठिर-टीला और द्रौपदीकुण्ड, महत्पुरमें श्रीलमध्वाचार्यका आगमन, श्रीरुद्रद्वीप, श्रीशङ्करपुर, श्रीशङ्कराचार्यका श्रीनवद्वीपमें आगमन, रुद्रद्वीप (ग्यारह रुद्रोंका स्थान), श्रीनवद्वीपमें श्रीविष्णुस्वामीका आगमन, पारडाङ्गा, रासलीला-स्थली श्रीवंशीवट, श्रीधीरसमीर ], [ श्रीबिल्वपुष्करिणी, व्रजका बेलवन, श्रीनवद्वीपमें श्रीनिम्बादित्य, श्रीमन् महाप्रभु द्वारा चारों वैष्णव-सम्प्रदायोंकी दो-दो सार वस्तुओंको ग्रहण करना, रुक्मपुर (रामतीर्थ), भरद्वाजटीला ], [ श्रीनित्यानन्द प्रभु और श्रीजीव गोस्वामीके प्रश्न-उत्तर ]' [ जीवका स्वरूप ]' [श्रीनगर-कीर्त्तन, उच्छ्वास-दैन्यमयी-प्रार्थना ]अथ नायकभेद-प्रकरणम्, अथ नायकसहायभेद-प्रकरणम, अथ श्रीहरिप्रिया-प्रकरणम्, अथ राधा-प्रकरणम्, अथ नायिकामेदाः, अथ श्रीयूथेश्वरीभेद-प्रकरणम्, अथ दूतीभेद-प्रकरणम्, अथ सखी-प्रकरणम्, अथ श्रीहरिवल्लभा-प्रकरणम, अथोद्दीपन-प्रकरणम, अथानुभाव-प्रकरणम, अथ सात्त्विक-प्रकरणम, अथ व्यभिचारि-प्रकरणम, अथ स्थायिभाव-प्रकरणम्, अथ शृङ्गारभेद-प्रकरणम, मूल-श्लोकसूची, शब्द-कोश ।
This book describes the glories of Sri Navadvipa-dhama. Lord Sri Nityananda Prabhu explains on tour to Sri Jiva Gosvami all the different places of pilgramage in the holy land of Sri Navadvipa.
TITLE: Sri Navadvipa Dhama Mahatmya - Hindi
AUTHOR: Srila Bhaktivinoda Thakura
TRANSLATED and EDITED by Srimad Bhaktivedanta Narayana Goswami Maharaja
PUBLISHER: Gaudiya Vedanta Prakashan
EDITION: 2007, First Edition
BINDING: Hardcover
PAGES and SIZE: 474, 5.75" X 4", Illustrated with Color Plates
SHIPPING WEIGHT: 350 grams
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