श्री ठाकुर भक्तिविनोद-विरचित
Teachings of Sri Chaitanya Mahaprabhu
This book presents the essential teachings of Sri Caitanya Mahaprabhu (i.e. dasa-mula siksa)
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Binding | Paperback |
Size | 6.75" x 4.75" |
श्रीगौड़ीय वेदान्त समिति एवं तदन्तर्गत भारतव्यापी
श्रीगौड़ीय मठोंक प्रतिष्ठाता, श्रीकृष्णचैतन्याम्नाय
दशमाधस्तनवर श्रीगौड़ीयाचार्य केशरी ॐ विष्णुपाद
अष्टोत्तरशतश्री श्रीश्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामीचरणके
अनुगृहीत
श्रीश्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराज
द्वारा
अनुवादित एवं सम्पादित
परमाराध्य अष्टोत्तरशत श्रीगुरुपादपद्मका इस ग्रन्थके विषयमें अभिमत इस प्रकार है :-
"यह ग्रन्थ क्षुद्राकार होनेपर भी परमोच्च कोटिके दार्शनिक तथ्यों एवं विचारोंसे परिपूर्ण है। यदि कोई श्रीचैतन्य महाप्रभुकी दार्शनिक शिक्षाओंसे अवगत होना चाहते हैं, तो उनके लिए इस ग्रन्थका पाठ करना सर्वाधिक उपादेय होगा। इस ग्रन्थके विषयमें यदि हम यह कहें कि गौड़ीय गोस्वामीवर्गके सारे ग्रन्थोंका सार इस ग्रन्थमें गागरमें सागरकी भाँति भरा हुआ है, तो अत्युक्ति नहीं होगी। और तो क्या, श्रीगौड़ीय वैष्णव-सम्प्रदायकी तत्त्व-शिक्षाके सम्बन्धमें इससे बढ़कर कोई भी दार्शनिक ग्रन्थ आज तक प्रकाशित नहीं हुआ है-ऐसा मुक्त कण्ठसे कहा जा सकता है। लोग विशुद्ध वैष्णव-धर्मके सिद्धान्तोंका अनुशीलन या गवेषणा करना चाहते हैं, उनके लिए यह ग्रन्थ परमादरणीय होगा।
इस ग्रन्थका और भी एक प्रधान वैशिष्ट्य यह है कि इसमें किसी सम्प्रदायको व्यर्थ ही ऊँचा-नीचा दिखलानेके लिए किसी प्रकारका प्रयास नहीं किया गया है; किन्तु विश्वके सारे अपसम्प्रदायोंकी चिन्ताधाराएँ शास्त्र-विरुद्ध और अमङ्गलजनक हैं-इसे इसमें शास्त्रीय प्रमाणों एवं अकाट्य युक्तियोंके द्वारा स्पष्ट किया गया है। इस ग्रन्थका अधिकाधिक प्रचार-प्रसार होनेसे धर्मके सम्बन्धमें प्रचलित अनेकानेक भ्रान्तियोंका निराकरण होगा-इसमें सन्देह नहीं है।"
विषय -सूची : वर्णानुक्रमिक श्लोक -सूची, बंगला पयार -सूची, परिच्छेद -सूची - दशमूल-तत्त्व, आम्नाय वाक्य ही मूल-प्रमाण हैं, श्रीकृष्ण ही परम-तत्त्व हैं, श्रीकृष्ण सर्वशक्तिमान हैं, श्रीकृष्ण अखिल रसामृत-समुद्र हैं, जीव-समूह हरिके विभिन्नांश-तत्त्व हैं, तटस्थधर्म-वशतः जीव बद्धदशामें, माया द्वारा बद्ध हैं, तटस्थ-गठनवशतः जीव मुक्तदशामें प्रकृतिसे मुक्त हैं, जीव और जड़ सभीका कृष्णसे युगपत् भेद और अभेद है, शुद्ध-भक्ति ही जीवके लिए साधन है, श्रीकृष्ण-प्रीति ही जीवका साध्य है
This book by Srila Bhaktivinoda Thakura presents in eleven chapters the essential teachings of Sri Caitanya Mahaprabhu (i.e. dasa-mula siksa) regarding the nature of pramana (proof); the relationship (sambandha) between Krsna, the jiva and maya which is ascertained in the Vedas; the means to attain the goal (sadhana) and the goal itself (sadhya).
TITLE: Sri Chaitanya Mahaprabhu ki Shiksha - Hindi
AUTHOR: Srila Bhaktivinoda Thakura
TRANSLATED and EDITED by Srimad Bhaktivedanta Narayana Goswami Maharaja
PUBLISHER: Gaudiya Vedanta Prakashan
EDITION: 2005, Fourth Edition
PAGES and SIZE: 144, 6.5" X 4.75, with Sloka Indices
SHIPPING WEIGHT: 250 grams
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