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Binding | Paperback |
Size | 8.5" x 5.5" |
(शिक्षा-समन्वित जीवन-चरित्र)
श्रीगौड़ीय वेदान्त समिति एवं तदन्तर्गत भारतव्यापी श्रीगौड़ीय
मठोंक प्रतिष्ठाता, श्रीकृष्णचैतन्याम्नाय दशमाधस्तनवर
श्रीगौड़ीयाचार्य केशरी नित्यलीलाप्रविष्ट
ॐ विष्णुपाद अष्टोत्तर्यातश्री
श्रीमद्भक्तिप्रज्ञान केशव गोस्वामी महाराजके
अनुगृहीत
त्रिदण्डिस्वामी श्रीमद्भक्तिवेदान्त नारायण गोस्वामी महाराजके
द्वारा संकलित एवं सम्पादित
विधि-भक्तिके द्वारा व्रजभावको प्राप्त नहीं किया जा सकता तथा आत्मेन्द्रिय-प्रीति वाञ्छाका लेशमात्र रहनेपर रागमार्गमें भी किसीका अधिकार नहीं होता। अतएव ऐसे साधक जिनमें परम सौभाग्यवशतः शुद्धभक्तोंके सङ्गके प्रभावसे व्रजभावको प्राप्त करनेका लोभ तो जागृत हो गया है, किन्तु अनर्थ ग्रस्त अवस्थाके कारण वे रागमार्गका अनुशीलन करनेमें असमर्थ हैं, उन्हें रागमार्गमें अधिकार प्राप्त करनेके लिए श्रीमन् महाप्रभुकी 'तृणादपि सुनीचेन तरोरपि सहिष्णुना। अमानिना मानदेन कीर्तनीयः सदा हरिः॥' रूपी शिक्षाके मूर्त्तिमान स्वरूप नामाचार्य श्रील हरिदास ठाकुरके द्वारा दिखाये गये आदर्श, परम उपाय स्वरूप सर्वश्रेष्ठ भजनके अङ्ग श्रीनाम-सङ्कीर्तनका यत्नपूर्वक अनुशीलन करना चाहिये।
विषय - सूची :- नामाचार्य श्रील हरिदास ठाकरका स्वरूप, श्रील हरिदास ठाकुरका जीवन-चरित्र तृतीय, श्रील हरिदास ठाकुरके द्वारा वेश्याका उद्धार, श्रील हरिदास ठाकुरके द्वारा नामतत्त्वका विचार, श्रील हरिदास ठाकुर और श्रीअद्वैताचार्य, जीव मोहनी साक्षात् मायादेवीके द्वारा श्रील हरिदास ठाकुरकी परीक्षा, श्रील हरिदास ठाकुरकी नामके प्रति निष्ठा, अजातशत्रु श्रील हरिदास ठाकुरका प्रभाव (विषधर सर्पका उपाख्यान), श्रील हरिदास ठाकुरकी महिमा, श्रील हरिदास ठाकुरके समय भक्तिहीन लोगोंकी अवस्था, श्रील हरिदास ठाकुरके द्वारा उच्च हरिनाम-सङ्कीर्तनके माहात्म्यका वर्णन, श्रीमन् महाप्रभु एवं श्रील हरिदास ठाकुर, श्रीमन् महाप्रभुके द्वारा श्रीनित्यानन्द प्रभु तथा श्रील हरिदास ठाकुरको एकसाथ हरिनाम-प्रचार करनेका आदेश, नीलाचलमें श्रील हरिदास ठाकुर, श्रील हरिदास ठाकुर तथा श्रील रूप गोस्वामी, नामाचार्य श्रील हरिदास ठाकुर तथा श्रीसनातन गोस्वामी, श्रीमन् महाप्रभु तथा श्रील हरिदास ठाकुरका संवाद, श्रील हरिदास ठाकुरकी अप्रकट लीला ।
The life and teaching of Srila Haridasa Thakura, compiled from the narrations found in Sri Caitanya-caritamrta and Sri Caitanya-bhagavata.
TITLE: Namacharya Srila Haridas Thakur - Hindi
AUTHOR: Sri Srimad Bhaktivedanta Narayana Maharaja
PUBLISHER: Gaudiya Vedanta Prakashan
EDITION: First, 2009
BINDING: Paperback
PAGES and SIZE: 206, 8.5" X 5.75", With 16 Color Plates
SHIPPING WEIGHT: 450 grams
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